Defense sector : भारत का रक्षा क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों में बहुत तेज़ रफ्तार से आगे बढ़ा है। सरकार के मेक इन इंडिया अभियान, स्वदेशी निर्माण, और घरेलू खरीद लक्ष्यों ने इस इंडस्ट्री को नई ऊँचाई पर पहुँचा दिया है। बीते कुछ वर्षों में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स (Mazagon Dock Shipbuilders) की सफलता ने पूरे मार्केट का ध्यान जहाज निर्माण कंपनियों की ओर खींचा है। कंपनी के शेयर ने 2020 के बाद से लगभग 30 गुना रिटर्न दिया। 16 अक्टूबर 2020 को अगर किसी ने 1 लाख रुपये लगाए होते, तो 2025 में उसकी वैल्यू 30 लाख रुपये हो जाती। कंपनी की आय 18% की CAGR से बढ़ रही है और नेट प्रॉफिट 38% की दर से।
GRSE
GRSE का नाम भारत की प्रमुख जहाज निर्माण कंपनियों में आता है। इसका मुख्य कारोबार युद्धपोत, छोटे वेसल्स व अन्य मरम्मत-संबंधित सेवाओं से जुड़ा है। कंपनी ने अब तक भारतीय नौसेना व कोस्ट गार्ड के लिए 111 युद्धपोत डिलीवर किए हैं। 2025 के अंत तक GRSE के पास 40 जहाज निर्माणाधीन थे।
कंपनी का मुख्य फोकस तकनीकी विकास, जैसे 30MM नेवल सरफेस गन, पोर्टेबल ब्रिज और हाइड्रोजन फ्यूल सेल फेरी पर है। 2026 तक ऑर्डर बुक के 500 अरब रुपये तक पार जाने का अनुमान है। हाल में कंपनी ने जर्मन कंपनी को 108 मिलियन डॉलर का ऑर्डर दिया, और बंगाल सरकार के लिए इलेक्ट्रिक फेरी और हाइब्रिड फेरीया बना रही है। FY25 में कुल आय 5,411 करोड़ रुपये रही, जिसमें लॉन्ग टर्म ग्रोथ नजर आती है।
Cochin Shipyard
Cochin Shipyard, केरल स्थित भारत की सबसे बड़ी शिपयार्ड कंपनी है। Cochin Shipyard एयरक्राफ्ट कैरियर और हाइब्रिड-इलेक्ट्रिक वेसल्स जैसे बड़े जहाज बनाने में माहिर है। इसका डिफेंस और कमर्शियल दोनों सेगमेंट में अच्छा योगदान है। FY25 में कंपनी की आय 19.2 अरब रुपये रही, लेकिन नेट प्रॉफिट में 22.7% की गिरावट आई, Q2FY25 में नेट प्रॉफिट सिर्फ 107 करोड़ रुपये रह गया।
कंपनी ने कोरिया की HD कोरिया शिपबिल्डिंग से रणनीतिक भागीदारी की है, जिससे भविष्य में तकनीकी बढ़त और विस्तार की संभावना है। 2031 तक कंपनी टर्नओवर को दोगुना करने का लक्ष्य रखती है। हाल में 211 अरब रुपये की ऑर्डर बुक है और नई परियोजनाओं के लिए निवेश हो रहा है।
स्वान डिफेंस एंड हेवी इंडस्ट्रीज
गुजरात के पिपावाव पोर्ट पर स्थित स्वान डिफेंस पहले रिलायंस नेवल के नाम से थी। इसे 2025 में स्वान एनर्जी ने टेकओवर किया और अब यह भारत की सबसे बड़ी इंटीग्रेटेड शिपबिल्डिंग फैसिलिटी चलाती है। कंपनी के पास सालाना फैब्रिकेशन क्षमता 144,000 टन है और 400,000 DWT तक के जहाज बनाने की सुविधा है। 2025 में कंपनी के शेयर में 2700% उछाल आया और मार्केट कैप 5,400 करोड़ रुपये तक पहुंची।
सितंबर 2025 में कंपनी ने गुजरात मैरीटाइम बोर्ड के साथ 4,250 करोड़ रुपये का निवेश समझौता किया। साथ ही यूरोपीय और कोरियन कंपनियों के साथ भी समझौते हुए हैं। नवंबर, 2025 में 220 मिलियन डॉलर के छह केमिकल टैंकर निर्माण का समझौता किया गया।
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बाजार की नजर
तीनों कंपनियों की ऑर्डर बुक्स और टेक्नोलॉजी अपग्रेड की वजह से निवेशकों का रुझान बढ़ा है। हालांकि, वैल्यूएशन और साथ ही शेयर की कीमतों में बढ़ोतरी पहले ही आ चुकी है, यानी अगले फेज़ में डिलीवरी की गति बढ़ाना जरूरी होगा। भारत का जहाज निर्माण चक्र अब नीति समर्थन, मजबूत बैलेंस शीट्स और मल्टी-ईयर डिफेंस पाइपलाइन के दौर में है।
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